उमूर-ए-ख़ैर में कुछ एहतिमाम हो न सका माल नेक हो जिस का वो काम हो न सका बग़ैर मंज़िल-ए-अव्वल क़याम हो न सका जब आया कोच का दिन फिर मक़ाम हो न सका हर एक मुर्तकिब मासियत यहाँ से गया किसी बशर से फ़रिश्ते का काम हो न सका क़दम किसी की न ठहरी जब आब-ओ-दाना उठा गुहर से बत्न-ए-सदफ में क़याम हो न सका शराब-ए-आब-ए-ख़जालत निगाह में ठहरे कि चश्म-ए-यार से हम-चश्म जाम हो न सका नज़ाकत उस के क़दम चूमती है देखा है कड़ी पहन लिए जिस दिन ख़िराम हो न सका मिले न उन से मिले हम जुदा हुए जब से फटा दिल ऐसा कि फिर इल्तियाम हो न सका हर एक रंज को राहत समझ ली शुक्र किया करे शिकायत-ए-आक़ा ग़ुलाम हो न सका किसी के मुल्क-ए-इताअ'त में आमली न चले फ़साद-ए-नफ़्स रहा इंतिज़ाम हो न सका हुआ है आतिश-ए-गुल में लगी ये तलवों से उड़े शरर की तरह हम क़याम हो न सका गए जो शिकवे को अपना सा मुँह वो ले के फिरे मिली ज़बान न मुँह में कलाम हो न सका शराब तर्क की हम ने रक़ीब के हाथों लहू के घूँट पिएँ हम मुदाम हो न सका कभी वफ़ाई न हिलने दिया लब-ए-फ़रियाद बुतों से हश्र में भी इंतिक़ाम हो न सका हज़ार ने'मत-ए-दुनिया ने हम को ललचाया हलाल लुक़्मा हमारा हराम हो न सका नसीब हो न तरक़्क़ी तो बाढ़ है बे-कार हिलाल तेग़ का माह-ए-तमाम हो न सका है यादगार ज़माने में अपनी तन्हाई फ़क़ीर का कोई क़ाइम मक़ाम हो न सका हज़ार मौज-सिफ़त 'बहर' दस्त-ओ-पा मारे हबाब साँ मगर अपना क़याम हो न सका