उन के आने का मुझे यूँ भी पता हो जाएगा जब वो आएँगे तो मौसम ख़ुशनुमा हो जाएगा तू भी अपने वास्ते अब इक मसीहा ढूँड ले यूँ मरज़ बढ़ता गया तो ला-दवा हो जाएगा उस के कूचे से सलामत लौट आए तो नसीब मर गए तो आशिक़ी का हक़ अदा हो जाएगा दिल तो फिर भी चाहता है उस की क़ुर्बत का शरफ़ जानता है ज़ख़्म जब कि फिर हरा हो जाएगा अपने अपने मस्लकों में बट गए हैं सारे लोग साथ जिस दिन चल पड़ेंगे रास्ता हो जाएगा