उन के जब जब भी मिरे नाम लिफ़ाफ़े आए साथ में लोगों के क्या क्या न क़याफ़े आए वो सहीफ़ा है मिरा दिल कि तिरी निस्बत से जिस पे हर दौर में ज़ख़्मों के इज़ाफ़े आए मेरे एहसास ने ख़ुशबू को बुलाया जब भी तेरी ज़ुल्फ़ों के महकते हुए नामे आए तजरबे उम्र के हर मोड़ पे मुँह मोड़ गए काम कुछ आए तो बचपन के क़याफ़े आए आप ही आए न आने की ख़बर पहुँचाई वैसे आने को बहर रंग लिफ़ाफ़े आए