उन के वा'दे पे ए'तिबार आया फिर भी दिल पर न इख़्तियार आया आप के दर पे दिल-फ़िगार आया जो भी आया वो अश्क-बार आया बे-क़रारी थी दिल के रहने तक लुट गया दिल तो फिर क़रार आया अश्क आँखों में बारी बारी से आए नाम होंटों पे बार बार आया वो न आए ये ग़म तो है लेकिन कम से कम लुत्फ़-ए-इंतिज़ार आया चाँद निकला हो जैसे बदली से यूँ अचानक ख़याल-ए-यार आया बे-रुख़ी पर मुझे हँसी आई बरहमी बढ़ गई तो प्यार आया मेरी आँखों में बस गईं आँखें बे-पिए इस क़दर ख़ुमार आया तेरा दीवाना जोश-ए-वहशत में कर के दामन को तार तार आया मय तो रिंदों में हो गई तक़्सीम तब हमारा कहीं शुमार आया शैख़ बदनाम है बहुत 'सालिक' मै-कदा में कभी-कभार आया