उन की आँखों के इशारे देखे या'नी जीने के सहारे देखे क्या कहें दिल की जराहत क्या है तुम ने कब ज़ख़्म हमारे देखे सुब्ह तक आता रहा तेरा ख़याल रात भर हम ने सितारे देखे पास ग़ैरों का है अपनों से सिवा सब चलन हम ने तुम्हारे देखे उस ने जब हम से निगाहें फेरीं दिल पे चलते हुए आरे देखे क़हर ढाता हुआ दरिया पाया सहमे सहमे से किनारे देखे किस की नज़रों ने वो देखे होंगे हम ने 'दानिश' जो नज़ारे देखे