प्यार तुम्ही से करता है ये दिल तुम पर मरता है रातों का ये सन्नाटा मुझ से बातें करता है तुझ से बिछड़ कर क्या बतलाएँ कैसे वक़्त गुज़रता है कोई सुलगते मौसम में ठंडी आहें भरता है दिल के आईने में कौन बनता और सँवरता है ख़ाका-ए-जाँ में प्यार तिरा रंग अनोखे भरता है दर्द का मारा दिल 'दानिश' तन्हाई से डरता है