उन से जब भी कलाम होता है दिल को दिल से पयाम होता है उस की नज़रों में जो समा जाए बस वही शाद-काम होता है हुस्न का दबदबा तआ'लल्लाह बादशह भी ग़ुलाम होता है हम ने देखा नमाज़-ए-उल्फ़त में मुक़तदी भी इमाम होता है हम ने देखा है मरने वालों के लब पे तेरा ही नाम होता है दर्द होता है बस वहीं दिल में तेरा जिस जा मक़ाम होता है वो सितमगर भी हज़रत-ए-'नाज़ी' कहीं बातों में राम होता है