उन की मस्त आँखों ने कर डाला है मस्ताना मुझे अब नहीं है एहतियाज-ए-दौर-ए-पैमाना मुझे भूल कर भी अब नहीं आता गुलिस्ताँ का ख़याल इस क़दर आया है रास ऐ इश्क़ वीराना मुझे आप का दीवाना कहता है मुझे सारा जहाँ आप भी कह दीजिए इक बार दीवाना मुझे ख़ुद ही अपनी आग में अक्सर जला करता हूँ मैं हुस्न ने बख़्शा है सोज़-ए-इश्क़-ए-परवाना मुझे देखिएगा फिर मिरे दिल की जुनूँ-सामानियाँ देख लूँ मैं उस को और वो चश्म-ए-मस्ताना मुझे बच नहीं सकता बला-ए-बर्क़-ओ-जौर-ए-बाद से कुछ सुकूँ देने लगा है मेरा काशाना मुझे हुस्न से चश्मक रहा हो जिस का मक़्सूद-ए-हयात बख़्श दी क़ुदरत ने वो तब्अ'-ए-कलीमाना मुझे अब यही है आरज़ू 'जौहर' दिल-ए-बेताब में रश्क-ए-फ़िर्दोस-ए-बरीं हो मेरा ग़म-ख़ाना मुझे