उर्दू का नमक जो खाते हैं उर्दू पे गुज़ारा करते हैं इस बात का दुख है लोग वही उर्दू से किनारा करते हैं मत देख हिक़ारत से उन को अंदाज़ा नहीं है तुझ को अभी शबनम के ये नन्हे क़तरे भी शो'ले को शरारा करते हैं अपनों से गिला हम क्या करते है रीत पुरानी दुनिया की झड़ते हैं शजर से पत्ते जब पंछी भी किनारा करते हैं मुमकिन ही नहीं है आ जाएँ क़ानून के पंजों में मुजरिम मंज़र में नहीं रहते हैं तुम्हें वो सिर्फ़ इशारा करते हैं