उरूज-ए-दर्द-ए-तमन्ना है अब तो आ जाओ हमारा दिल यही कहता है अब तो आ जाओ नहीं है सेहन-ए-गुलिस्ताँ में कोई हंगामा हुजूम-ए-शौक़-ए-तमन्ना है अब तो आ जाओ खिले हैं फूल कई आरज़ू के गुलशन में बस इंतिज़ार तुम्हारा है अब तो आ जाओ कभी कभी तो हसीं चाँदनी भी चुभती है किरन किरन में अंधेरा है अब तो आ जाओ न जाने उम्र कहाँ ये तमाम हो जाए अभी हयात का लम्हा है अब तो आ जाओ हम अपने दिल के अँधेरों से ख़ुद परेशाँ थे चराग़-ए-शौक़ जलाया है अब तो आ जाओ न साथ देगी तुम्हारा भी 'ताज' तन्हाई हमारे साथ ये दुनिया है अब तो आ जाओ