उस का अपना ही करिश्मा है फ़ुसूँ है यूँ है यूँ तो कहने को सभी कहते हैं यूँ है यूँ है जैसे कोई दर-ए-दिल पर हो सितादा कब से एक साया न दरूँ है न बरूँ है यूँ है तुम ने देखी ही नहीं दश्त-ए-वफ़ा की तस्वीर नोक-ए-हर-ख़ार पे इक क़तरा-ए-ख़ूँ है यूँ है तुम मोहब्बत में कहाँ सूद-ओ-ज़ियाँ ले आए इश्क़ का नाम ख़िरद है न जुनूँ है यूँ है अब तुम आए हो मिरी जान तमाशा करने अब तो दरिया में तलातुम न सुकूँ है यूँ है नासेहा तुझ को ख़बर क्या कि मोहब्बत क्या है रोज़ आ जाता है समझाता है यूँ है यूँ है शाइ'री ताज़ा ज़मानों की है मे'मार 'फ़राज़' ये भी इक सिलसिला-ए-कुन-फ़यकूँ है यूँ है