उस के कूचे सती ग़ुबार उठा कौन सा वाँ से ख़ाकसार उठा अंदलीबो बसा लो अब सहरा बाग़ से मौसम-ए-बहार उठा हिचकियाँ ले गुलाबियाँ रोएँ बज़्म से जब ये मय-गुसार उठा अज़्म रुख़्सत हुआ जब ही उस का मेरे दिल से वहीं क़रार उठा नहीं जो क़द्र-ए-अश्क आलम से मोतियों का मगर वक़ार उठा शम्अ से सोज़ 'अमानी' पूछा तिरा इक धुआँ उस के दिल से यार उठा