उस की हस्ती क़ज़ा की क़ैद में है जो परिंदा हवा की क़ैद में है इस से बेहतर है यार मर जाऊँ मेरा जीना ख़ुदा की क़ैद में है शब से ख़ाइफ़ है नींद की तितली ख़्वाब दस्त-ए-हिना की क़ैद में है दिल मिरी आँख में धड़कता है आँख तेरी अदा की क़ैद में है सब क़बीले हैं ख़ून के प्यासे सारी बस्ती अना की क़ैद में है छोड़ कर फिर से लौट आता है तू मिरी किस दुआ की क़ैद में है वो ज़िया को भी फूँक सकता है जो अंधेरा ज़िया की क़ैद में है वो है आज़ाद हर हवाले से जो बशर कर्बला की क़ैद में है मैं जवानी में हो गया बूढ़ा इब्तिदा इंतिहा की क़ैद में है तुम शिफ़ा ढूँडते हो दुनिया में और वो ख़ाक-ए-शिफ़ा की क़ैद में है जान 'राहिब' समाअ'तों का हुजूम तिरी अंधी सदा की क़ैद में है