उस को आदाब बिछड़ने के सिखाता हुआ मैं By Ghazal << वो मेरा यार था मुझ को न य... उजाला दश्त-ए-जुनूँ में बढ... >> उस को आदाब बिछड़ने के सिखाता हुआ मैं जाते जाते उसे सीने से लगाता हुआ मैं बढ़ गए मुझ से भी कुछ हाथ मिलाने वाले उस से देखा गया जब हाथ मिलाता हुआ मैं एहतिजाजों का मिरे इश्क़ से आग़ाज़ तो हो उस के कूचे में चलूँ शोर मचाता हुआ मैं Share on: