उस नज़र की शराब पीता हूँ बादा-ए-कामयाब पीता हूँ पर्दा-दारी-ए-नज़्म-ए-कुन की ख़ैर आज मैं बे-हिजाब पीता हूँ झूम जाते हैं अर्श ओ कौसर ओ ख़ुल्द झूम कर जब शराब पीता हूँ रहमतें बे-हिसाब होती हैं मैं जहाँ बे-हिसाब पीता हूँ सादा, सादा-निगाहों के निसार हल्की हल्की शराब पीता हूँ उफ़ ये मेरा जलाल-ए-बादा-कशी घोल कर आफ़्ताब पीता हूँ ज़ब्त और ज़ब्त-ए-मुस्तक़िल 'शेरी' ठंडी ठंडी शराब पीता हूँ