उस पार गिर पड़े हैं कुछ इस पार गिर पड़े अहल-ए-जुनूँ सँभल गए हुशियार गिर पड़े पहचान जिन के फ़न की जुदागाना थी वही हिर्स-ओ-हवस की आग में फ़नकार गिर पड़े तहज़ीब की क़बा में सियह-कारी आम है जिद्दत की ज़द में इल्म के मेआ'र गिर पड़े मग़रिब ने ऐसा जाल बिछाया है चार-सू दानिस्ता मेरी क़ौम के मे'मार गिर पड़े सस्ती नुमाइश ऐसी मुबारक तुम्हीं को हो जिस में हया की सारी ही दीवार गिर पड़े इख़्लास के सिपाही तो 'नादिर' ही रह गए ख़ुम-ख़ाना-ए-नुमूद में सब यार गिर पड़े