उस शोख़ के लतीफ़ इशारों को देखिए बिखरे हुए हसीन नज़ारों को देखिए हर एक शय में उस का ही जल्वा है रू-ब-रू ये एक देखिए कि हज़ारों को देखिए नज़रों में गर समाया है उस यार का जमाल दर दर गली गली में निगारों को देखिए ये किस के रंग-ओ-रूप का अक्स-ए-जमील है छाई हुई चमन में बहारों को देखिए नैरंगी-ए-हयात है हर सम्त जल्वा-गर तूफ़ाँ को देखिए कि किनारों को देखिए पर्दे उठा के आज शबिस्तान-ए-ऐश के हाँ इक निगाह दर्द के मारों को देखिए उल्फ़त में तेरी हार चुके हैं जो जान-ओ-दिल अपने कभी तो सीना-फ़गारों को देखिए क्यों उम्र-ए-मुख़्तसर को करें वक़्फ़-ए-रंज-ओ-ग़म दम भर तो ज़िंदगी की बहारों को देखिए दम भर कहीं थमें न ये रोके कहीं रुकें इस क़ुल्ज़ुम-ए-हयात के धारों को देखिए सैर-ए-चमन न यार न मुतरिब न शग़्ल-ए-मय क्या देख कर 'हबीब' बहारों को देखिए