उसे दिल से भुला देना ज़रूरी हो गया है ये झगड़ा ही मिटा देना ज़रूरी हो गया है लहू बरफ़ाब कर देगी थकन यकसानियत की सो कुछ फ़ित्ने जगा देना ज़रूरी हो गया है गिरा दे घर की दीवारें न शोरीदा-सरी में हवा को रास्ता देना ज़रूरी हो गया है बहुत शब के हवा-ख़्वाहों को अब खुलने लगे हैं दियों की लौ घटा देना ज़रूरी हो गया है भरम जाए कि जाए राह पर आए न आए उसे सब कुछ बता देना ज़रूरी हो गया है मैं कहता हूँ कि जाँ हाज़िर किए देता हूँ लेकिन वो कहते हैं अना देना ज़रूरी हो गया है ये सर शानों पे अब इक बोझ की सूरत है 'आली' सर-ए-मक़्तल सदा देना ज़रूरी हो गया है