उसे पाँव जमाने को किनारा मिल गया है बनेगा दोस्त अब दुश्मन इशारा मिल गया है बहुत रोए हैं माँ बेटे किसी को याद कर के बहल जाएगा बेटे को ग़ुबारा मिल गया है सहेली साथ चलते हैं चल उस की छाँव में हम ग़ज़ब की धूप में इक अब्र-पारा मिल गया है वो मेरा ख़ुद-निगर नाराज़ हो कर जाने वाला पलट आया तो मैं समझी दोबारा मिल गया है सफ़र की सम्त का मैं ख़ुद तअ'य्युन कर चुकी थी न जाने तुम ये क्यूँ समझे सितारा मिल गया है हुई पल भर में ख़ाकिस्तर तअ'ल्लुक़ की इमारत भरे बारूद को जैसे शरारा मिल गया है हैं उस के सर-वरक़ पुर-ख़ार फूलों से ज़ियादा हमें अगली मोहब्बत का शुमारा मिल गया है छुपा कर ज़िक्र करना था मिरा शे'रों में उस ने सो उस को जल-परी का इस्तिआ'रा मिल गया है