उसे तुम से मोहब्बत है ग़लत-फ़हमी में मत रहना ये बस दिल की शरारत है ग़लत-फ़हमी में मत रहना तुम्ही को देख कर वो मुस्कुराता है तो हैरत क्या उसे हँसने की आदत है ग़लत-फ़हमी में मत रहना हुए बर्बाद तो अब आह-ओ-ज़ारी कर रहे हो तुम कहा भी था सियासत है ग़लत-फ़हमी में मत रहना मैं तुझ को चाहता हूँ बात ये सच है मगर फिर भी मुझे तेरी ज़रूरत है ग़लत-फ़हमी में मत रहना ही झुकी नज़रों से तकना और ख़मोशी से गुज़र जाना मोहब्बत की रिवायत है ग़लत-फ़हमी में मत रहना किया करता हूँ 'राही' उस की तारीफ़ें सबब ये है वो मुझ से ख़ूबसूरत है ग़लत-फ़हमी में मत रहना