उसी के हाथ में सारा जहाँ है ज़मीं जिस की है जिस का आसमाँ है ग़रीबी भूक बीमारी शराफ़त तुम्हारी और हमारी दास्ताँ है तुम्हें तर्क-ए-तअ'ल्लुक़ से मिला क्या ज़रा सोचो तो ये किस का ज़ियाँ है अज़ल से मैं उसी का हो गया हूँ कि जिस के हाथ में सारा जहाँ है इसे छूना नहीं आसान इतना बुलंदी पर मिरा हिन्दोस्ताँ है बहुत सी उलझनें हैं फिर भी 'नश्तर' हमारा क़ाफ़िला अब भी रवाँ है