उसी की सारा ज़माना मिसाल देता है जो करके नेकियाँ दरिया में डाल देता है तिरा ख़याल अचानक नदी में यादों की गए ज़माने के लम्हे उछाल देता है ये वक़्त है जो सदा मेहरबाँ नहीं होता उरूज दे के पयाम-ए-ज़वाल देता है जवाब ढूँडने निकलें तो उम्र कट जाए हर एक पल हमें इतने सवाल देता है गले लगा लूँ मैं 'ज़ाहिद' बुला के ख़्वाबों में तिरा ख़याल मुझे ये कमाल देता है