उस की ग़म-ख़्वारी करो और उस की दिलदारी करो मस्लहत कहती है तुम दुश्मन से भी यारी करो कम से कम इंसाफ़ का दामन न छोड़ो हाथ से मैं कहाँ कहता हूँ तुम मेरी तरफ़-दारी करो उम्र भर सहते रहो बख़्शी हुई साँसों का जब्र उम्र भर दुनिया में जीने की अदाकारी करो गिर गई दीवार-ए-ज़िंदाँ कट गईं सब बेड़ियाँ अब तो ऐ अहल-ए-जुनूँ एलान-ए-बेदारी करो मुंसिफ़ो हम ने अंधेरे को अंधेरा कह दिया अब हमारे क़त्ल के अहकाम भी जारी करो तर्क-ए-मय-ख़ाना है 'शाइर' वज़्अ'-दारी के ख़िलाफ़ जाम ख़ाली है तो पीने की अदाकारी करो