उस को फ़िराक़-ए-यार का मतलब नहीं पता मतलब उसे भी प्यार का मतलब नहीं पता मरना तो चाहते हैं मगर क्या करें कि जब साँसों को इख़्तियार का मतलब नहीं पता मुझ को भी अब यक़ीन किसी बात पर नहीं उस को भी ए'तिबार का मतलब नहीं पता रखते हो तुम हिसाब ग़म-ए-ज़िंदगी का जो क्या तुम को बे-शुमार का मतलब नहीं पता उस से गिला करें भी अगर हम तो किस लिए जिस को कि ग़म-गुसार का मतलब नहीं पता गो कर रहा है गुल की हिफ़ाज़त शजर मगर पतझड़ को नौ-बहार का मतलब नहीं पता