उस ने आँखें मूँद लीं अब कोई रुत आया करे ये जहाँ अपने किए पर लाख पछताया करे अब कोई मंज़र हमें गुमराह कर सकता नहीं ज़िंदगानी चाहे जितने ख़्वाब दिखलाया करे झूट क्या है सच है क्या सब कुछ हमें मालूम है क़ाएदे क़ानून दुनिया लाख समझाया करे ज़िंदगानी और मुझ में रोज़ इक तकरार है मैं इसे समझाऊँ और ये मुझ को समझाया करे गर ये पागल-पन नहीं उस का तो आख़िर क्या कहें रोज़ ले कर आइना अंधों को दिखलाया करे