उस ने चाहा कि कुछ कमाल बने तब हमारे ये ख़द्द-ओ-ख़ाल बने फिर न मौसम भी वैसा साफ़ हुआ फिर न वैसे हमारे बाल बने ठीक है हम पे उँगलियाँ उट्ठीं बात ये है कि हम मिसाल बने एक ग़ैबी ख़ुदा के होते हुए कौन है जो हमारी ढाल बने देखिए क्या जवाब आता है फिर रहे हैं तिरा सवाल बने हस्ब-ए-दस्तूर वो भी था मग़रूर शुक्र है हम भी हस्ब-ए-हाल बने आप जैसे हसीन भी कम हैं लोग हम से भी ख़ाल-ख़ाल बने