वही दश्त-ए-बला है और मैं हूँ ज़माने की हवा है और मैं हूँ तुझे ऐ हम-सफ़र कैसे सँभालूँ पहाड़ी रास्ता है और मैं हूँ सुकूत-ए-कोह है और साया-ए-दर सदा-ए-मा-सिवा है और मैं हूँ मगर शाख़ों से पत्ते गिर रहे हैं वही आब-ओ-हवा है और मैं हूँ ये सारी बर्फ़ गिरने दो मुझी पर तपिश सब से सिवा है और मैं हूँ कई दिन से नशेमन ख़ाक-ए-दिल का सर-ए-शाख़-ए-हवा है और मैं हूँ पहाड़ों पर कहीं बारिश हुई है ज़मीं महव-ए-दुआ है और मैं हूँ मुझे भी कुछ न कुछ करना पड़ेगा ज़माना सर-फिरा है और मैं हूँ