वही इक फ़रेब हसरत कि था बख़्शिश-ए-निगाराँ सो क़दम क़दम पे खाया ब तरीक़-ए-पुख़्ता-काराँ वो चले ख़िज़ाँ के डेरे कि है आमद-ए-बहाराँ शब-ए-ग़म के रह-नशीनों कहो अब सलाह-ए-याराँ मिरे आशियाँ का क्या है मिरा आसमाँ सलामत हैं मिरे चमन की रौनक़ यही बर्क़-ओ-बाद-ओ-बाराँ न सही पसंद-ए-हिकमत ये शिआ'र-ए-अहल-ए-दिल है कभी सर भी दे दिया है ब-सलाह-ए-दोस्त-दाराँ रहे हुस्न बन के आख़िर जो ख़याल उधर से गुज़रे ये किधर की चाँदनी थी सर-ए-ख़ाक-ए-रह-ए-गुज़ाराँ मिरे एक दिल की ख़ातिर ये कशाकश-ए-हवादिस तिरे एक ग़म के बदले ये हुजूम-ए-ग़म-गुसाराँ मिरी वहशतों ने जिस को न बना के राज़ रक्खा वही राज़ है कि अब तक है मियान-ए-राज़दाराँ किसी मनचले ने भेजा है मय-ए-सुख़न से भर कर कि ये साग़र-ए-दिल-अफ़ज़ा है ये नज़्र-ए-दिल-निगाराँ