वही ज़िद उन को है वही है हट उन की चाही नहीं है ये झंझट पाँव की मेरे जो सुनी आहट हुए दाख़िल मकान में झट-पट शोख़ कितना किया है पीर-ए-मुग़ाँ मुग़बचे हो गए बड़ मुँह-फट कोई पहलू नज़र नहीं आता देखिए बैठे ऊँट किस करवट याद करते नहीं कभी वो हमें नाम की उन के हाँ लगी है रट ज़ेब-ए-महफ़िल है माह-रुख़ मेरा हर तरफ़ है सितारों का झुरमुट जल्वा-गह में अजब करिश्मा है याद करते ही आ गए झट-पट जल्वा-फ़रमा वो गुल है गुलशन में हर रविश पर लगे हुए हैं ठट इन को पर्दे में भी हिजाब रहा है नुमायाँ नक़ाब में घुँघट नाला-ए-दिल चराग़-ए-रौशन है कोह-ए-आतिश-फ़शाँ की है ये लिपट बादा-ए-नाब क़िस्मत-ए-अग़्यार 'साक़ी'-ए-ज़ार को मिले तलछट