फूल भरे हैं दामन दामन

फूल भरे हैं दामन दामन
लेकिन वीराँ वीराँ गुलशन

इश्क़ की मस्ती दिल की धड़कन
एक जवानी दो दो जोबन

देखे हैं सब शैख़-ओ-बरहमन
नाम बड़े और छोटे दर्शन

कौन किसी के दुख का साथी
अपने आँसू अपना दामन

ज़ब्त ने जब भी होंट सिए हैं
तेज़ हुई है दिल की धड़कन

गोरा मुखड़ा काली ज़ुल्फ़ें
सुब्ह के दर पर शाम की चिलमन

गुलशन के मतवाले हैं हम
फूल भी गुलशन ख़ार भी गुलशन

अक़्ल की बातें करने वाले
क्या समझेंगे दिल की धड़कन

हुस्न और इश्क़ में फ़र्क़ यही है
एक है शीशा एक है आहन

तन के उजले मन के मैले
ये हैं वाइ'ज़ जी के लच्छन

अक़्ल ने अक्सर दिल को कोसा
नाच न जाने टेढ़ा आँगन

तन-मन तुम पर वार दिए हैं
उस का सब कुछ जिस का तन-मन

तेरा दामन छोड़ूँ कैसे
मेरी दुनिया तेरा दामन

रूठ के जाने वाले आख़िर
अपनों से क्यूँ इतनी अन-बन

तेरी याद का नूर था वर्ना
हिज्र की ज़ुल्मत और हो रौशन

आज 'सहर' आना है किस को
रौशन है क्यूँ मेरा आँगन


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