वही शिकस्ता साइकल वही उदास ज़िंदगी तिरे लिए तो कुछ नहीं हमारे पास ज़िंदगी ये कोह-ओ-दश्त-ओ-रहगुज़ार ढूँडते रहे तुझे किसे ख़बर कि है कहाँ तिरा निवास ज़िंदगी अजीब मसअलों में है हयात-ए-जाविदाँ मिरी यक़ीन ला-वजूदियत मगर क़यास ज़िंदगी तुझे तो सब्ज़ जंगलों की रंग-ओ-बू से वास्ता तिरी गिरफ़्त में कहाँ ये सब्ज़ घास ज़िंदगी हमें भी घुन लगा गई उमीद-ए-बे-कराँ तिरी तुझे भी चाटती रही हमारी आस ज़िंदगी