वहशत है बहुत कम तो है ज़ंजीर ज़ियादा छोटा सा मिरा ख़्वाब है ता'बीर ज़ियादा क्या जान मेरी सिर्फ़ सुलगने के लिए है कीजे न मिरे जिस्म की तफ़्सीर ज़ियादा किस मोड़ पे दीवान के मैं रुक सा गया हूँ 'ग़ालिब' से नज़र आने लगा 'मीर' ज़्यादा करता हूँ इसी वास्ते तदबीर बहुत कम हर काम में काम आती है ता'बीर ज़ियादा कब तक ये मिरा ज़ो'म ये एहसास रहेगा दुनिया में बहुत ख़ूब है कश्मीर ज़ियादा