वजूद-ए-इश्क़ का कोई सिरा मिला नहीं मिला ख़ुदी मिली नहीं मिली ख़ुदा मिला नहीं मिला तमाम शहर में मिले गले हज़ार रात से मगर कहीं किसी जगह दिया मिला नहीं मिला तुम्हें हमारी रूह के निशाँ मिले नहीं मिले हमें तुम्हारे जिस्म का पता मिला नहीं मिला ये अहद रद का अहद था सो रस्म मुस्तरद हुई मसीह-ए-वक़्त दार पर खड़ा मिला नहीं मिला ज़मीन-ए-दश्त-ए-याद भी हवा-ए-संग-दिल की है कोई निशान देर तक पड़ा मिला नहीं मिला