वक़्त अच्छा जो मिरा था पहले हर नज़र को मैं भला था पहले अब कहीं जा के फ़साना समझा उस के मुँह से न सुना था पहले सिर्फ़ हम ही न हुए थे पागल कुछ तो उस को भी हुआ था पहले है ज़मीं-बोस इमारत इतनी इस का सीना भी तना था पहले ज़िंदगी खा के थपेड़े बिगड़ी मैं तो इतना न बुरा था पहले बा'द में दिल से गई शीरीनी ज़हर दुनिया ने भरा था पहले धूल जब तक न हटी आँखों से साफ़ 'तालिब' न दिखा था पहले