वक़्त अजीब आ गया मंसब-ओ-जाह के लिए साहिब-ए-दिल भी चल पड़े तख़्त-ओ-कुलाह के लिए मिरे ग़नीम-ए-सुर्ख़-रु अर्सा-ए-सद-शिकस्त में कोई नवेद-ए-सर-ख़ुशी मेरी सिपाह के लिए उस का हदफ़ भी देखना मेरी तरफ़ भी देखना क़त्ल-ए-अना की शर्त है इस से निबाह के लिए मौसम-ए-गुल को क्या ख़बर शोरिश-ए-अब्र-ओ-बाद में ताइर-ए-दिल उदास है शाख़-ए-पनाह के लिए एक नवा-ए-आतिशीं हल्क़ा-ब-हल्क़ा जिस्म में फिर हुई है ताज़ा-दम ताज़ा गुनाह के लिए कहता था कोई शम्अ-रुख़ देख मिरे चराग़-ए-शब कोई किरन बचा के रख रोज़-ए-सियाह के लिए इक शब-ए-माह के लिए दिल है लहू लहू 'रज़ी' आँख सितारा-केश है इक शब-ए-माह के लिए