वक़्त का सिलसिला नहीं रुकता By Ghazal << सरीर-ए-सल्तनत से आस्तान-ए... मुद्दतों बा'द वो गलिय... >> वक़्त का सिलसिला नहीं रुकता लाख रोको ज़रा नहीं रुकता ये ज़मीं है ख़ुदाओं का मदफ़न आदम-ए-कज-अदा नहीं रुकता इश्क़ वो चार सू सफ़र है जहाँ कोई भी रास्ता नहीं रुकता रफ़्तगाँ आईना दिखाता है कुछ भी हो इर्तिक़ा नहीं रुकता Share on: