वक़्त भी तेवर बदलता जाएगा दिल भी अपनी चाल चलता जाएगा रफ़्ता रफ़्ता उम्र ढलती जाएगी आइने का रुख़ बदलता जाएगा जज़्बा-ए-ईसार दिल में हो अगर मसअलों का हल निकलता जाएगा दूरियाँ भी क़ुर्ब बनती जाएँगी चाँद मेरे साथ चलता जाएगा आप को मिलती रहेगी रौशनी दिल हमारा यूँ ही जलता जाएगा ख़ून-ए-दिल अपना ब-नाम-ए-अंगबींं अपने पैमाने में ढलता जाएगा उस पे मशरिक़ मेहरबाँ होगी 'वली' जो भी गिर गिर कर सँभलता जाएगा