वक़्त की तह में उतर जाऊँगा मैं भी लम्हा हूँ गुज़र जाऊँगा अब जो निकला हूँ तिरे ख़्वाब लिए ता-बा-इमकान-ए-नज़र जाऊँगा तू हर इक शय में मिलेगा मुझ को तुझ को पाऊँगा जिधर जाऊँगा वो भी दिन थे कि गुमाँ होता था तुझ से बिछड़ुँगा तो मर जाऊँगा तू मिरा हमदम-ओ-हमराज़ न बन मैं तो नश्शा हूँ उतर जाऊँगा