सच्चाई से बिल्कुल आरी होता है तेरा वा'दा भी सरकारी होता है जो अमावस की रात में चमके वो जुगनू पूर्निमा के चाँद पे भारी होता है डाक टिकट की भी कोई औक़ात है क्या तेरी याद में आँसू जारी होता है उस पर ही फूलों की बारिश करते हो जिस का हर जुमला चिंगारी होता है महरूमी का जश्न मनाएँगी आँखें फिर एलान-ए-शब-बेदारी होता है