वरक़ वरक़ ये फ़साना बिखरने वाला था बचा लिया मुझे उस ने में मरने वाला था शगुफ़्ता फूल परेशाँ हुआ तो ग़म न करो कि वो तो यूँ भी हवा में बिखरने वाला था मैं उस को देख के फिर कुछ न देख पाऊँगा ये हादिसा भी मुझी पर गुज़रने वाला था सदा-ए-संग ने मुझ को बचा लिया वर्ना मैं इस पहाड़ से टकरा के मरने वाला था मैं बे-क़ुसूर हूँ ये फ़ैसला हुआ वर्ना मैं अपने जुर्म का इक़रार करना वाला था पहाड़ सीना-सिपर हो गया था मेरे लिए वगर्ना मुझ में समुंदर उतरने वाला था