रख-रखाव में कोई ख़्वार नहीं होता यार दोस्त होते हैं, हर इक यार नहीं होता यार दो घड़ी बैठो मिरे पास, कहो कैसी हो दो घड़ी बैठने से प्यार नहीं होता यार यार! ये हिज्र का ग़म! इस से तो मौत अच्छी है जाँ से यूँ ही कोई बेज़ार नहीं होता यार रूह सुनती है मोहब्बत में बदन बोलते हैं लफ़्ज़ पैराया-ए-इज़हार नहीं होता यार नौकरी, शाइ'री, घर-बार, ज़माना, क़द्रें इक मोहब्बत ही का आज़ार नहीं होता यार ख़ुश-दिली और है और इश्क़ का आज़ार कुछ और प्यार हो जाए तो इक़रार नहीं होता यार लड़कियाँ लफ़्ज़ की तस्वीर छुपा लेती हैं उन का इज़हार भी इज़हार नहीं होता यार आदमी इश्क़ में भी ख़ुद से नहीं घट सकता आदमी साया-ए-दीवार नहीं होता यार!! घेर लेती है कोई ज़ुल्फ़, कोई बू-ए-बदन जान कर कोई गिरफ़्तार नहीं होता यार यही हम आप हैं हस्ती की कहानी, इस में कोई अफ़्सानवी किरदार नहीं होता यार