वर्ना ज़ख़्मी कोई रहगीर नहीं हो सकता इस कमाँ-दार का ये तीर नहीं हो सकता साया-दारी की रिवायत का अगर पास रखें फिर खुजूरों का तो शहतीर नहीं हो सकता दफ़्न हैं हाथ हमारे इसी मलबे में कहीं ये ख़राबा कभी ता'मीर नहीं हो सकता क्या सितम है कि बिछड़ कर तिरा फिर से मिलना वज्ह-ए-तब्दीली-ए-तक़दीर नहीं हो सकता ऐसी पैवस्त हैं पैरों में ये कड़ियाँ कि 'फ़राग़' कोई भी शामिल-ए-ज़ंजीर नहीं हो सकता