वीराना गुलज़ार किया है तैर के सहरा पार किया है अब समझी आईना था वो मैं ने जिस पर वार किया है अपने ग़म का रोना रो कर ख़ुद को ही बाज़ार किया है तुम चाहो तो जा सकते हो पर मैं ने तो प्यार किया है क़ुदरत क्यों नाराज़ है हम से हम ने कुछ तो यार किया है ये जो घूम रहें हैं इन को आदत ने लाचार किया है एक कहानी एक तमाशा हम ने कितनी बार किया है