वो और तसल्ली मुझे दें उन की बला दे जाते हुए फ़रमा तो गए सब्र ख़ुदा दे हर बात का अल्लाह ने बख़्शा है सलीक़ा लड़ना भी मज़ा दे तिरा मिलना भी मज़ा दे इस तरह भी ग़श से कहीं होता है इफ़ाक़ा या ज़ुल्फ़ सुँघा या मुझे दामन की हवा दे दम चढ़ने लगा ग़ुस्से के तेवर जो बनाए नाज़ुक हो जो इतना वो मुझे ख़ाक सज़ा दे कम-बख़्त नय सब खोल दिए राज़-ए-मोहब्बत ये किस ने कहा था तुझे 'बेख़ुद' को पिला दे