वो दिलबरी का उस की जो कुछ हाल है सो है और अपनी दिल-दही का जो अहवाल है सो है मत पूछ उस की ज़ुल्फ़ की उलझेड़े का बयान ये मेरी जान के लिए जंजाल है सो है नेकी बदी का कोई किसी के नहीं शरीक जो अपना अपना नामा-ए-आमाल है सो है पिस जाए कोई हो या कि पामाल उस को क्या इस गर्दिश-ए-फ़लक की जो कुछ चाल है सो है वे ही अलम में आहों के वैसी ही फ़ौज-ए-अश्क अब तक ग़म-ओ-अलम का जो इक़बाल है सो है ऐसा तो वो नहीं जो मिरा चारासाज़ हो फिर फ़ाएदा कहे से जो कुछ हाल है सो है शिकवा मुझे तो सोज़न-ए-मिज़्गाँ से कुछ नहीं दिल ख़ार ख़ार आह से ग़िर्बाल है सो है नक़्श-ए-क़दम की तरह 'हसन' उस की राह में अपना ये दिल सदा से जो पामाल है सो है