वो दिलकशी वो तसव्वुर किसी नज़र में नहीं तुम्हारे जैसी कोई शय हमारे घर में नहीं ये ज़िंदगी भी अजब चीज़ है ख़ुदा की पनाह इसे सँभाल के रखना मिरे हुनर में नहीं ये किस की आह की फुन्कार है कि अब के बरस तुम्हारे होंटों की कोई दुआ असर में नहीं मैं एक उम्र से हूँ शामिल-ए-सफ़र लोगो मगर ये क्या कि मिरे पाँव रहगुज़र में नहीं तमाम कुतुब-ओ-रसाइल वरक़ वरक़ देखे बहुत दिनों से 'असद' तुम किसी ख़बर में नहीं