वो हवा पर सवार है सो है किब्र उस का मदार है सो है ख़ुद-नुमाई शिआ'र है सो है आदमी इश्तिहार है सो है राएगाँ है मिरा ख़ुलूस-ए-वफ़ा वो अना का शिकार है सो है लाख मिन्नत करे सखी हातिम भीक से हम को आर है सो है फ़क्र-ओ-फ़ाक़ा नहीं है मजबूरी ये हमारा शिआ'र है सो है बार-ए-एहसाँ उतारिए कैसे नक़्द-ए-जाँ मुस्तआ'र है सो है देखिए मौज की पशेमानी डूब कर भी वो पार है सो है ये समुंदर है इल्म-ओ-दानिश का बे-कराँ बे-कनार है सो है