वो जान-ए-इंतिज़ार आए न आए मिरे दिल को क़रार आए न आए यक़ीं है आएगा दौर-ए-मसर्रत किसी को ए'तिबार आए न आए ख़िज़ाँ का दौर तो हो जाए रुख़्सत गुलिस्ताँ में बहार आए न आए किसे मा'लूम कब वो रूठ जाएँ मोहब्बत साज़गार आए न आए बुलाया उस ने है तो जाऊँगा मैं ये मौक़ा बार बार आए न आए