वो जिधर से गुज़र के जाते हैं बन के ख़ुशबू बिखर के जाते हैं चाँद भी सर पटकने लगता है जब वो सज के सँवर के जाते हैं मैं नशे में बहकने लगता हूँ प्याले आँखों से भर के जाते हैं माँ के पैरों में देख ली जन्नत लोग जन्नत में मर के जाते हैं उन से पूछो कभी 'नियाज़ी' मियाँ क्यों वो दीवाना करके जाते हैं