वो जो ज़ख़्मों की नुमाइश करते हैं इन पे चारागर भी कोशिश करते हैं बस तुम्हें पाने की ख़्वाहिश करते हैं हम जुनूँ की आज़माइश करते हैं ज़िंदगी में कुल मिला कर देखें तो ख़्वाब और तक़दीर गर्दिश करते है आँख दो इक ग़म में रोती ही नहीं अब्र यकजा हो के बारिश करते हैं मौला तेरी ख़ल्क़ के सब लोग ही इश्क़ कब करते हैं साज़िश करते हैं अस्ल में अक्सर ही मर जाते हैं हम ख़्वाब में जी भर के जुम्बिश करते हैं मैं हँसा देता हूँ तुम को आख़िरश और तुम्हारे लोग कोशिश करते हैं